प्यार की पहली सीढ़ी.....
हम दोनों दूर के रिश्तेदार हैं, और आज मैं उनके घर गई.....
हम पहले भी मिल चुके हैं पर कभी बात नहीं किए बस काम से काम रखते थे, क्योंकी वह शायद लड़कियों से ज्यादा बात करना पसंद नहीं करते और मुझे थोड़े से अच्छे नहीं लगते थे।
पर आज जब मैं उनके यहां शादी में गई तो आज वो मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे... पूरी शादी में उन्होंने मुझसे बात नहीं की लेकिन सिर्फ देखकर मुस्कुराते रहे....
जिस दिन बारात लौट कर आई थी उसके दूसरे दिन रात में खाना खाकर सारे लोग नीचे आपस में गपशप लगा रहे थे और हम सारे बच्चे में फोन चलाने के लिए नेटवर्क की तलाश में छत पर बैठे थे।
सब अपने फोन में व्यस्त थे और वो मेरे पास आकर खड़े हुए मुझसे मेरे बारे में पूछने लगे मुझे क्या पसंद है, मेरी पढ़ाई, मेरे दोस्त के बारे में और हमारी बातें होने लगी, उन्होंने मुझसे पहली बार बात की थी, मैं हमेशा बिंदी लगाती हूं, ये सवाल उन्होंने मुझसे किया था, उन्होंने कहा मुझसे कि मैं बिंदी में बहुत अच्छी लगती हूं, मेरी तारीफ तो बहुतों ने की है पर इस तारीफ में कुछ अलग था।
ऐसा लग रहा था मानो वो आंखे मुझे कुछ कह रही हो पर वह कह नहीं पा रहे। हम तो रिश्तेदार हैं तो मैं मन ही मन सोच रही थी कि मैं उनके लिए कभी ऐसी फिलिंग्स नहीं ला सकती और मैने अपने दिमाग से यह बात निकाल दी....
उनसे बात करने के बाद अब मेरी आंखें उन्हें ढूंढने लगीं थी।
पर हम तो रिश्तेदार है तो मुझे प्यार नहीं हो सकता मै ये बात अपने दिमाग को बार बार कह रही थी....
मुझे सिर्फ इनसे ही लगाव क्यों हो रहा है, आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। अब क्योंकि मुझे कल घर जाना था तो लग रहा था कि काश यह पल बस यहीं थम जाए, मैं नहीं जानती थी कि यह क्या हो रहा है मेरे साथ बस सब कुछ अच्छा सा लग रहा था। सोने की कोशिश कर रही थी पर बुरा लग रह था कि क्यों मैं कल जा रही.....
(Part 2 is waiting for you)
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